Wednesday 12 May 2021

विश्वकर्मा वंशावली 1.4.2 रामधारी विश्वकर्मा

रामधारी विश्वकर्मा : ये रामनाथ विश्वकर्मा के मंझले बेटे थे. शुरू में इन्होंने कुछ सालों तक नौकरी की थी. फिर पिता के कहने पर गांव लौट आए और चांदी से जुड़ा अपना पुस्तैनी कारोबार संभाल लिया.
इनकी शादी भागवती देवी से हुई. जिनसे इन्हें 5 बेटे और 3 बेटियां हुई.  
वो बताते थे जब देश में आंदोलन हुआ था यानी 1942 से ही गांव में चांदी से गहने बनाने का काम किया जा रहा है. तब यहां हमारे बाबूजी रामनाथ विश्वकर्मा के अलावे प्यारेलाल, रंगी विश्वकर्मा, बासुदेव विश्वकर्मा सहित कई लोग इस काम में लगे थे.उस वक़्त ये काम काफी बड़े पैमाने पर किया जाता था. हमारे यहां चांदी से बनने वाले गहने जैसे चूड़ी, बेड़ा, कर्ण फूल आदि बनाने के लिए 80 लोग बहाल थे. आज वाली स्थिति नहीं थी. अंग्रेजों का शासन था. बिजली नहीं हुआ करती थी. गैस जलाने के लिए किरोसिन तेल का प्रयोग किया जाता था. तब दानापुर के एसडीओ ऑफिस से तेल का कोटा पास करा कर महीने में सात टिन तेल लेते थे. वहीं कच्चा माल के रूप में चांदी तत्कालीन कलकत्ता ( कोलकाता ) से आता था. हंसते हुए कहते थे कि उस समय की बात ही कुछ और थी. तीन – तीन हजार भर के चांदी का एक – एक सिल्ली वहां से रेलवे पार्सल के माध्यम से आता था. दानापुर से गांव लाने के लिए बैल गाड़ी या टमटम को भेज देते थे. चोरी का भी कोई डर – भय नहीं होता था. फिर इसी चांदी से यहां बाजू ( बांह में पहना जाने वाला आभूषण ), कर्ण फूल ( कान में पहनने के लिए 8 – 8 भर का होता था, इसकी खासियत थी कि ये प्योर चांदी से बना होता था ), बेड़ा ( इसे बच्चों को पहनाया जाता था ), महिलाओं के लिए चांदी की चूड़ी, करधनी ( चांदी की कई लड़ियों से इसे बनाया जाता था जिसे महिलाएं कमर में पहनती थी ), बिछिया ( ये आकार में छोटा होता था जिसे पैरों की अँगुलियों में पहना जाता था ), हमल ( चांदी से बने ये आभूषण आकार में बड़े होते थे, जो गले से नाभि तक लटके रहते थे ), ऐसे – ऐसे कई तरह के आभूषणों का निर्माण किया जाता था. फिर इन तैयार मालों को बिहार के कई शहरों के अलावे दिल्ली, यूपी, कलकत्ता आदि जगहों पर भेजा जाता था. ये काम गांव में आज भी उसी तरह से किया जा रहा है.    
रामधारी विश्वकर्मा का निधन 28 अप्रैल 2021 को हो गया. इनसे पहले इनकी पत्नी भागवती देवी भी 13 नवंबर, 2019 में स्वर्ग सिधार गईं.

पांच बेटों के नाम निम्नलिखित है :

जय गोविंद विश्वकर्मा 
अवध बिहारी विश्वकर्मा 
किशोर विश्वकर्मा 
अनिल विश्वकर्मा 
सुनील विश्वकर्मा 

तीन बेटियों के नाम :
वीणा विश्वकर्मा 
रंजना शर्मा (पुतुल)
गुड़िया शर्मा 
                                     


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